(क) इ या ई के आगे कोई विजातीय (असमान) स्वर होने पर इ या ई को ‘य्’ हो जाता है। (ख) उ या ऊ के आगे किसी विजातीय(असमान) स्वर के आने पर उ या ऊ को ‘व्’ हो जाता है। (ग) ‘ऋ’ के आगे किसी विजातीय(असमान) स्वर के आने पर ऋ को ‘र्’ हो जाता है। इन्हें यण-संधि कहते हैं ।
उदाहरण
(ई + आ = य् + आ) इति + आदि = इत्यादि ।
(ई + अ = य् + अ) नदी + अर्पण = नद्यर्पण ।
(ई + आ = य् + आ) देवी + आगमन = देव्यागमन ।
(उ + अ = व् + अ) अनु + अय = अन्वय ।
(उ + आ = व् + आ) सु + आगत = स्वागत ।
(उ + ए = व् + ए) अनु + एषण = अन्वेषण ।
(ऋ + अ = र् + आ) पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा ।